मुक़्तदी (यानी जो शख्स इमाम के पीछे नमाज़ पढ़ रहा हो) के लिए सलाम फेरने का सुन्नत तरीका क्या है? بِسْمِ اللہِ الرَّحْمٰنِ الرَّحِیْمِ اَلْجَوَابُ بِعَوْنِ الْمَلِکِ الْوَھَّابِ اَللّٰھُمَّ ھِدَایَۃَ الْحَقِّ وَالصَّوَابِ सुन्नत यह है कि जो मुक़्तदी शुरू से इमाम के साथ नमाज़ में शरीक है, वह इमाम के सलाम फेरते ही अपना पहला सलाम फेर दे। यानी जब इमाम ने सलाम फेरना शुरू किया, तो इमाम का सलाम खत्म होने से पहले मुक़्तदी सलाम फेरना शुरू कर दे। यही तरीका इमाम-ए-आज़म रज़ी अल्लाहु अन्हु के नज़दीक भी सुन्नत है और मुक़्तदी को इसी पर अमल करने का हुक्म है। बुखारी शरीफ में है "وَكَانَ ابْنُ عُمَرَ رَضِيَ اللَّهُ عَنْهُمَا يَسْتَحِبُّ إِذَا سَلَّمَ الْإِمَامُ أَنْ يُسَلِّمَ مَنْ خَلْفَهُ... عَنْ عِتْبَانَ قَالَ صَلَّيْنَا مَعَ النَّبِيِّ صَلَّى اللَّهُ عَلَيْهِ وَسَلَّمَ فَسَلَّمْنَا حِينَ سَلَّمَ" हज़रत इब्ने उमर पसंद करते थे कि जब इमाम सलाम फेरे, तो मुक़तदी भी सलाम फेरे... हज़रत इत्बान से मरवी है, कहते हैं कि हमने नबी पाक ﷺ के साथ नमाज़ पढ़ी, जब हुज़ूर ﷺ ने सलाम फेरा, तो हम...
Comments
Post a Comment